JKPSC SYLLABUS FOR THE POST OF LECTURER (10+2) HINDI
प्रथम भाग :- व्याकरण और भाषाविज्ञान व्याकरण:- 1.शब्द विचार,तत्सम, तद्भि, देशज और विदेशज शब्द। 2.वहिंदी व्याकरण मेंव िंग, िचन, विशेषण, विया कारक और समास। 3.सिंवध, सिंवध विच्छे द, उपसगगऔर प्रत्यय। 4.िाक्य रचना, उपिाक्य और िाक्य के भेद। भाषाविज्ञान:- 1.भाषा की पररभाषा और अवभ क्षण, विवभन्न भाषा पररिार, भारोपीय भाषा पररिार मेंशावम भाषाएिं । 2.व्याकरवणक कोवियोिंका पररचय। 3.भाषा विज्ञान का नामकरण, पररभाषा और क्षेत्र, स्वर और व्यिंजन का अन्तर और िगीकरण। वितीय भाग:-वहिंदी भाषा का इवतहास 1.वहिंदी भाषा का उद्भि और विकास। 2.वहिंदी की उपभाषा, पविमी वहिंदी, पूिी वहिंदी, राजस्थानी, विहारी और उनकी िोव यााँ। 3.खड़ी िो ी, ब्रज और अिवध भाषा की विशेषताएाँ । 4. देिनागरी व वप:- विशेषताएाँऔर मानकीकरण। 5.वहिंदी की सिंिैधावनक स्थस्थवत। 6.राष्ट्रभाषा, राजभाषा और सिंपकग भाषा के रूप मेंवहिंदी। 7. सिंचार माध्यम और वहिंदी, किं प्यूिर और वहिंदी। तृतीय भाग:- भारतीय एििं पाश्चात्य काव्यशास्त्र 1. काव्य की पररभाषा, काव्य के क्षण, काव्य हेतुऔर काव्य प्रयोजन। 2. रस सम्प्रदाय:- रस शब्द की व्युत्पवि, अथगऔर इवतहास, भरतमुवन का रस सूत्र, भट्टनायक और रामचिंद्र शुक्ल का साधारणीकरण। 3. अ िंकार सम्प्रदाय:- प्रमुख आचायगऔर उनकी स्थापनाएाँ, अ िंकार शब्द की व्युत्पवि, काव्य मेंअ िंकारोिंका महत्व। 4. प्रमुख अ िंकार:- अनुप्रास , यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, विरोधाभास, व्यायोस्थि, अथागन्तर, विशेषोस्थि और मानिीकरण की पररभाषा तथा क्षण। 5. प्लेिो एििं अरस्तूका अनुकरण वसद्धान्त। 6. आधुवनकता, उिर आधुवनकता तथा यथाथगिाद। चतुथथ भाग :- वहिंदी सावहत्य का इवतहास क) आवदकाल :- आवदका का नामकरण, आवदका ीन सावहत्य की मुख्य प्रिृवियााँ, रासो सावहत्य का सविस्तार अध्ययन। ख) भक्तिकाल:- (अ) सगुण भस्थि धारा के अिंतगगत कृ ष्ण काव्य और राम काव्य का पररचय और इवतहास, कृ ष्ण और राम भस्थि काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएाँ, प्रमुख कवि और उनकी कृ वतयााँ(तु सीदास तथा सूरदास)। (आ) वनगुगण ज्ञानमागी एििंप्रेममागी काव्यधारा का पररचय और इवतहास, प्रमुख कवि और कृ वतयााँ, ज्ञानमागी और प्रेममागी काव्यधारा की प्रमुख विशेषताएाँ(किीर और जायसी)। ग) रीवतकाल:- ऐवतहावसक पृष्ठभूवम, रीवतका का नामकरण, रीवतका के प्रमुख कवि, रीवतका ीन काव्य की प्रमुख प्रिृवियााँ। घ) आधुवनक काल:- (अ) गद्य सावहत्य:- उपन्यास की पररभाषा और तत्व, वहिंदी उपन्यास का उद्भि और विकास, कहानी की पररभाषा और तत्व, वहिंदी कहानी का उद्भि और विकास, नािक की पररभाषा एििंतत्व, वहिंदी नािक का उद्भि और विकास। (आ) पद्य सावहत्य:- भारतेंदुयुग, वििेदीयुग, छायािाद, प्रगवतिाद, प्रयोगिाद एििंनई कविता : प्रमुख विशेषताएाँ एििंकवियोिंका व्यस्थित्व और कृ वतत्व।